‘विमर्श एवं विरासत’ पर विचार-गोष्ठी की रपट / इंद्रजीत सिंह
विरासत महत्त्वपूर्ण है लेकिन आधुनिकीकरण की ज़रूरत कहीं ज़्यादा है – ख़ालिद अशरफ़ जनवादी
राकिया की अम्मा / समीना ख़ान
2024 के राजेंद्र यादव हंस कथा सम्मान से सम्मानित ‘राकिया की अम्मा’ को पढ़ते हुए
स्त्रीवादी आंदोलन की कई लहरें अभी आनी बाकी हैं: शोभा अक्षर / जनवादी लेखक संघ, फ़ैज़ाबाद
जनवादी लेखक संघ, फै़जाबाद की ‘स्त्री-स्वर’ शृंखला के अन्तर्गत ‘प्रगतिशीलता, प्रतिबद्धता और समकालीन स्त्री-लेखन’ विषय
“हूबनाथ पाण्डेय की कविताएँ ‘वर्गबोध’ की कविताएँ हैं”- प्रो. बजरंग बिहारी / जनवादी लेखक संघ, मुंबई
18 अगस्त 2024 को मुंबई विश्वविद्यालय में ‘राजनीतिक कविता की परंपरा व भूमिका’ विषय पर
समीना ख़ान की कहानी ‘बयाज़’ पर चर्चा / जनवादी लेखक संघ, लखनऊ
जनवादी लेखक संघ लखनऊ द्वारा 15 अगस्त को समीना ख़ान की कहानी ‘बयाज़’ का पाठ
‘आर्टिकल 370’ : सत्य, तथ्य और सिनेमा / जवरीमल्ल पारख
संविधान के जिस अनुच्छेद 370 के ज़रिये जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा
भारत छोड़ो आंदोलन 1942 से ग़द्दारी की कहानी: आरएसएस और सावरकर की ज़बानी / शम्सुल इस्लाम
‘दमनकारी अंग्रेज़ शासक और उनके मुस्लिम लीगी प्यादों के बारे में तो सच्चाईयां जगज़ाहिर हैं,
दास्तान-ए-वैशाली : उत्तरोत्तरकांड / संजीव कुमार
सन 2000 में इन पंक्तियों के लेखक ने अपने बचपन के मुहल्ले में एक सिनेमा
ध्रुवीकरण की मुखर आलोचना: ‘द हिस्ट्री टीचर ऑफ़ लाहौर’ / अदिति भारद्वाज
किसी एक तरह की कट्टरता पर बात करने वाली रचना सभी तरह की कट्टरताओं के