नया पथ
January 18, 2024
पांच अवधी कविताएं / अमरेंद्र अवधिया
1 कवन सपेरा बीन बजावै न्याव, प्रसासन, बिधि-बिधायिका : सबका नाच नचावै जाति-धरम चिनगी परचावै, धूं-धूं लपट उठावै बेकारन क
1 कवन सपेरा बीन बजावै न्याव, प्रसासन, बिधि-बिधायिका : सबका नाच नचावै जाति-धरम चिनगी परचावै, धूं-धूं लपट उठावै बेकारन क
1 माधौ! असंसदीय मत बोलो। भजन-कीर्तन जाप करौ जब, राम कहे मुंह खोलो।। जुबां-केसरी फांक के, सच बोलै से पहिले