नया पथ
ऋत्विक घटक : सिनेमा के मौलिक चिंतक और विभाजन की त्रासदी के फिल्मकार / जवरीमल्ल पारख
“मैं जीवन भर यह अनुसंधान करता रहा हूँ कि किस प्रकार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फ़िल्मों की परंपरा और उनके विकास
प्रदीप मिश्र की कविताएँ
विभिन्न माध्यमों में लगातार प्रकाशित होनेवाले कवि प्रदीप मिश्र परमाणु ऊर्जा विभाग के राजा रामान्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र, इंदौर में
क्वारंटाइन सेन्टर : कोरोना काल की त्रासद गाथा / डा. अली इमाम ख़ाँ
“ये लघुकथाएं एक संक्षिप्त काल की हैं, फिर भी लेखक ने परिस्थितियों, विचारों और बयान करने की कला को दोहराने
ग्राम्शी : वर्चस्व के ख़िलाफ़ दीर्घकालीन सांस्कृतिक युद्ध का प्रस्ताव / महेश मिश्र
“ग्राम्शी ने क्रांति को केवल सत्ता–हस्तांतरण की घटना नहीं माना, बल्कि उसे एक लंबी सांस्कृतिक प्रक्रिया बताया। यदि पूँजीवाद अपनी
सात कविताएँ / मनजीत मानवी
इस बार रोहतक में रहनेवाली मनजीत मानवी की कविताएँ। प्रखर सामाजिक-राजनीतिक चेतना से संपन्न, स्त्रीवादी कार्यकर्ता मनजीत रोहतक के महर्षि
कलकत्ता से केरल तक / ज्योति शोभा
‘रूपाली दत्ता और अन्य कविताएँ’ लिखने वाली शानदार कवि ज्योति शोभा का यह यात्रा-संस्मरण जितना दिलचस्प है, उतना ही बहसतलब
सोफ़ोक्लीज़ का ‘एंटीगॉन’ : क्लासिक होने के मायने / महेश मिश्र
“सोफ़ोक्लीज़ की कृति यह बताने नहीं आती कि शोकांतिका केवल भाग्य का खेल है; वह हमें यह दिखाती है कि
बंद कमरे में एक सदी का क़िस्सा है ‘आफ़ताब हाउस’ / समीना ख़ान
“हालाँकि फिल्म पकिस्तान की सरज़मीं पर लिखी और फिल्मायी गयी है मगर इसकी गिरफ़्त में दोनों मुल्कों के बँटवारे और
