समता की ओर समाज : स्त्री अध्ययन का वर्तमान / बजरंग बिहारी तिवारी

‘यह पुस्तक आसान भाषा में पश्चिमी और भारतीय स्त्री विमर्श का सैद्धांतिक और व्यावहारिक पक्ष प्रस्तुत करती है।’–डॉ. रमा नवले

हिंदू बहुसंख्यकवाद के ख़तरों और चुनौतियों की शिनाख्त़ करती एक ज़रूरी किताब / संजीव कुमार

अपनी किताब के आमुख में परकाला प्रभाकर कहते हैं, ‘निकट भविष्य में एक चुनावी जीत ज़ाहिर तौर पर गणराज्य को

सिनेमा एक दृश्य माध्‍यम है जिसकी शक्ति दृश्‍यात्‍मकता में है / हरियश राय

जवरीमल्‍ल ‍पारख की किताब ‘साहित्‍य कला और सिनेमा’ पर हरियश राय की संक्षिप्‍त टीप  ——————————————————————– साहित्‍य, कला और सिनेमा जवरीमल्‍ल