समता की ओर समाज : स्त्री अध्ययन का वर्तमान / बजरंग बिहारी तिवारी
‘यह पुस्तक आसान भाषा में पश्चिमी और भारतीय स्त्री विमर्श का सैद्धांतिक और व्यावहारिक पक्ष प्रस्तुत करती है।’–डॉ. रमा नवले
‘यह पुस्तक आसान भाषा में पश्चिमी और भारतीय स्त्री विमर्श का सैद्धांतिक और व्यावहारिक पक्ष प्रस्तुत करती है।’–डॉ. रमा नवले
‘बाद में आने वाले लोगों के लिए रास्ता आसान न भी सही पर अनचीन्हा-अनजाना नहीं रह जाता, पर जिन्होंने सबसे
किसी एक तरह की कट्टरता पर बात करने वाली रचना सभी तरह की कट्टरताओं के खिलाफ़ एक वक्तव्य बन जाती
‘लेखक सिनेमा को सिर्फ़ मनोरंजन का ज़रिया नहीं बल्कि उसे अपने समय और समाज का बेहद महत्वपूर्ण दस्तावेज़ समझते हैं
कला कौशल की किताब ‘फ़ेसबुक तुक’ हाल ही में प्रकाशित हुई है। संस्मरण और समीक्षा जैसी विधाओं को समेटती 772
चंचल चौहान की किताब साहित्य का दलित सौंदर्यशास्त्र पर जनवादी लेखक संघ और दलित लेखक संघ के संयुक्त तत्त्वावधान में
“हर रचनाकार अपनी ‘वस्तु’ का चुनाव अपनी संवेदनक्षमता के आधार पर करता है, तो आलोचक को अपनी रुचि के अनुसार
अपनी किताब के आमुख में परकाला प्रभाकर कहते हैं, ‘निकट भविष्य में एक चुनावी जीत ज़ाहिर तौर पर गणराज्य को
जवरीमल्ल पारख की किताब ‘साहित्य कला और सिनेमा’ पर हरियश राय की संक्षिप्त टीप ——————————————————————– साहित्य, कला और सिनेमा जवरीमल्ल