ध्रुवीकरण की मुखर आलोचना: ‘द हिस्ट्री टीचर ऑफ़ लाहौर’ / अदिति भारद्वाज
किसी एक तरह की कट्टरता पर बात करने वाली रचना सभी तरह की कट्टरताओं के खिलाफ़ एक वक्तव्य बन जाती
किसी एक तरह की कट्टरता पर बात करने वाली रचना सभी तरह की कट्टरताओं के खिलाफ़ एक वक्तव्य बन जाती
‘लेखक सिनेमा को सिर्फ़ मनोरंजन का ज़रिया नहीं बल्कि उसे अपने समय और समाज का बेहद महत्वपूर्ण दस्तावेज़ समझते हैं
कला कौशल की किताब ‘फ़ेसबुक तुक’ हाल ही में प्रकाशित हुई है। संस्मरण और समीक्षा जैसी विधाओं को समेटती 772
चंचल चौहान की किताब साहित्य का दलित सौंदर्यशास्त्र पर जनवादी लेखक संघ और दलित लेखक संघ के संयुक्त तत्त्वावधान में
“हर रचनाकार अपनी ‘वस्तु’ का चुनाव अपनी संवेदनक्षमता के आधार पर करता है, तो आलोचक को अपनी रुचि के अनुसार
अपनी किताब के आमुख में परकाला प्रभाकर कहते हैं, ‘निकट भविष्य में एक चुनावी जीत ज़ाहिर तौर पर गणराज्य को
जवरीमल्ल पारख की किताब ‘साहित्य कला और सिनेमा’ पर हरियश राय की संक्षिप्त टीप ——————————————————————– साहित्य, कला और सिनेमा जवरीमल्ल
जवरीमल्ल पारख की किताब जीवन की पाठशाला पर विष्णु नागर की टिप्पणी ——————————————————————- जवरीमल्ल पारख प्रतिष्ठित साहित्य आलोचक होने के
नवारुण ने विलक्षण कहानीकार योगेंद्र आहूजा के वैचारिक लेखन को टूटते तारों तले शीर्षक से पुस्तकाकार प्रकाशित किया है। उस