नया पथ
May 5, 2025
संविधान के हक़ में / महेश मिश्र
‘इस ऐतिहासिक मोड़ पर हमें न केवल संविधान सभा की नैतिक दूरदर्शिता की ओर लौटना होगा, बल्कि बिपिन चंद्र, रजनी
‘इस ऐतिहासिक मोड़ पर हमें न केवल संविधान सभा की नैतिक दूरदर्शिता की ओर लौटना होगा, बल्कि बिपिन चंद्र, रजनी
मुख़्तार ख़ान का यह लेख जितना उर्दू क़वायद के बारे में है, उतना ही हिंदी-उर्दू के अटूट रिश्ते के बारे
दस्तावेज़ी फ़िल्मकार, बेहतरीन फ़िल्म संपादक और कवि तरुण भारतीय हमारे बीच नहीं रहे। दो दिन पहले दिल का दौरा पड़ने
हिन्दी सिनेमा की प्रख्यात अभिनेत्री शबाना आज़मी से यह बातचीत मार्च 2003 में की गयी थी। पिछले दिनों पुराने कागज-पत्र
अंग्रेजी के ख्यात कवि, कला-समीक्षक, कला-सिद्धांतकार, और लल द्यद का अंग्रेजी में अनुवाद करनेवाले रणजीत होसकोटे ने इंटरनेशनल सेंटर गोवा
आज़ाद भारत के साढ़े सात दशक के सफ़र की दिशा-दशा को समझने के प्रयास में, देश के जाने-माने अर्थशास्त्री और