पाँच कविताएँ / शालू शुक्ला
‘तुम फिर आना बसंत’ कविता संग्रह के लिए शीला सिद्धांतकर सम्मान से सम्मानित शालू शुक्ला विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में छपती रही
‘तुम फिर आना बसंत’ कविता संग्रह के लिए शीला सिद्धांतकर सम्मान से सम्मानित शालू शुक्ला विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में छपती रही
युवा कवि शंकरानंद की कविताएँ ‘नया पथ’ समेत हिंदी की तमाम महत्त्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में छपती रही हैं। ‘नया पथ’ के ऑनलाइन
‘इसी पाखंड पर नंगेली ने किया प्रहार / मत भूलें! चेरथला की विद्रोहिणी का प्रतिकार’ –प्रकाश चंद्रायन की कविताएँ भूलने
बसंत त्रिपाठी की इन कविताओं में एक ओर ‘धंधेबाज़ों की चालाकियों’ के क़िस्से हैं और ‘मैं’ सर्वनाम के साथ उन
मणि मोहन हिन्दी के जाने माने कवि और अनुवादक हैं। अभी तक छः कविता संकलन और चार अनुवाद की पुस्तकें
हरीश चन्द्र पाण्डे हमारे समय के विशिष्ट कवि हैं। लोग उनकी कविताओं का इंतज़ार करते हैं। प्रकाशित कृतियाँ हैं :
‘दिगम्बर विद्रोहिणी अक्क महादेवी’ पर एक यादगार किताब लिख चुके सुभाष राय इन दिनों आंडाल पर काम कर रहे हैं।
प्रदीप अवस्थी के पास गहरी उदासी की कविताएं हैं तो आक्रोश, संघर्ष और उम्मीद की भी। लगभग सभी महत्वपूर्ण पत्रिकाओं
पकी-पोढ़ी निगाहों से छूट जाने वाली कई चीज़ें बच्चों जैसी निश्छल निगाह की ज़द में आ जाती हैं। शचीन्द्र आर्य