उर्दू दुनिया
सरगर्मी
13-14 अप्रैल 2025 को जनवादी लेखक संघ, उत्तर प्रदेश का राज्य सम्मेलन लखनऊ में सम्पन्न हुआ। उसे याद करते हुए
विचार
“जर्मनी में नाज़ी शासन के दौरान लगातार मज़बूत और अमानवीय होती गयी इस परिघटना की भाव-भूमि को समझने के लिए
‘इस ऐतिहासिक मोड़ पर हमें न केवल संविधान सभा की नैतिक दूरदर्शिता की ओर लौटना होगा, बल्कि बिपिन चंद्र, रजनी
‘नेहरू केवल भाषणों में ही महान नहीं थे—उनके कर्म उनके शब्दों से एक क़दम आगे रहते थे। उन्होंने पहले आम
अस्मिता
‘धर्मांतरण : आंबेडकर की धम्म यात्रा’ बाबासाहेब आंबेडकर के धर्मांतरण संबंधी लेखन और भाषणों का संकलन है। इसे संपादित किया
विगत 32 वर्षों से मानव-शास्त्र और समाज-शास्त्र के अध्ययन और अध्यापन में लगे ज्ञान चंद बागड़ी इन दिनों आदिवासी इलाक़ों
चंचल चौहान की पुस्तक, ‘साहित्य का दलित सौंदर्यशास्त्र’ राधाकृष्ण प्रकाशन से हाल ही में प्रकाशित हुई है। भूमिका, उपसंहार और
देशकाल
“अब उच्च शिक्षा संस्थानों, विशेष रूप से विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में नियुक्तियों का केवल एक ही पैमाना रह गया है।
22 जनवरी 2025 को दिल्ली की एक अदालत ने विख्यात भारतीय चित्रकार, स्मृतिशेष मक़बूल फ़िदा हुसेन के दो चित्रों को
30 जनवरी से 3 फरवरी तक चलने वाले जयपुर लिटरेचर फ़ेस्टिवल की प्रायोजक वेदांता के साथ मारुति सुज़ुकी है। भारतीय
आलोचना
‘रामेश्वर प्रशांत की कविताओं में प्रकृति की कठोरता चित्रित है तो प्राकृतिक उपादानों के माध्यम से दुराचारियों-अत्याचारियों की करतूतों का
2022 में हरित साहित्य/ग्रीन लिटरेचर पर केंद्रित एक ऑनलाइन फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में इस विषय पर बोलने का मौक़ा मिला
‘समाज की तश्कील-ए-नौ (नया आकार देना) एक मंसूबे पर मुन्हसिर है और इसके लिए एक तंज़ीम की ज़रूरत है।’– तरक़्क़ी