सरगर्मी
आज जनवादी लेखक संघ मेरठ ने देश में संविधान, कानून के शासन और साझी संस्कृति और गंगा जमुनी तहजीब की
विचार
‘इस तरह के दंगों या सांप्रदायिक हिंसा के भड़कने के बाद अक्सर पूछा जाता है कि हिंसा की शुरुआत किसने
व्यक्ति-स्वातंत्र्य जिस पूंजीवाद का ऐतिहासिक नारा रहा है, उसके पास निगरानी और नियंत्रण की अकूत ताक़त है और उसके रहते
‘मौसिक़ी की दुनिया के इस शाहकार का शुमार रहती दुनिया तक किसी नायाब अजूबे से कम नहीं।’– साहिर की लिखी
अस्मिता
विगत 32 वर्षों से मानव-शास्त्र और समाज-शास्त्र के अध्ययन और अध्यापन में लगे ज्ञान चंद बागड़ी इन दिनों आदिवासी इलाक़ों
चंचल चौहान की पुस्तक, ‘साहित्य का दलित सौंदर्यशास्त्र’ राधाकृष्ण प्रकाशन से हाल ही में प्रकाशित हुई है। भूमिका, उपसंहार और
‘सचाई तो यह है कि 1970 के दशक तक दुनिया के स्तर पर ही स्त्री कलाकारों के पर्याप्त नामलेवा नहीं
देशकाल
‘यह संयोग नहीं है कि भाजपा मनरेगा की हमेशा विरोधी रही है और मोदी सरकार ने अपने शासन के दौरान
जनवादी लेखक संघ केंद्र की इस रिपोर्ट का मसौदा महासचिव द्वारा 17 नवंबर को केंद्रीय परिषद की बैठक में पेश
झारखंड में मतदान के पहले चरण की पूर्वसंध्या पर भाजपा के बहकाऊ और भड़काऊ नारे की पड़ताल कर रहे हैं
आलोचना
‘समाज की तश्कील-ए-नौ (नया आकार देना) एक मंसूबे पर मुन्हसिर है और इसके लिए एक तंज़ीम की ज़रूरत है।’– तरक़्क़ी
‘ “शमशेर की काव्यानुभूति की बनावट” निबंध को अंत तक पढ़ लेने के बाद आप पाएंगे कि इसमें सत्य को
20 अप्रैल 2024 से आलोचक और जनवादी लेखक संघ के संस्थापक महासचिव चंद्रबली सिंह का जन्मशती वर्ष आरंभ हुआ है।