समकालीन हिंदी कहानी में पूंजीवादी विकास की आलोचना / संदर्भ: हरित साहित्य / संजीव कुमार

2022 में हरित साहित्य/ग्रीन लिटरेचर पर केंद्रित एक ऑनलाइन फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में इस विषय पर बोलने का मौक़ा मिला

तरक़्क़ी पसंद तहरीक– जब इज़हार-ए-ख़याल की आज़ादी ने कई सरहदों को तोड़ा था / समीना ख़ान

‘समाज की तश्कील-ए-नौ (नया आकार देना) एक मंसूबे पर मुन्हसिर है और इसके लिए एक तंज़ीम की ज़रूरत है।’– तरक़्क़ी