भारत छोड़ो आंदोलन 1942 से ग़द्दारी की कहानी: आरएसएस और सावरकर की ज़बानी / शम्सुल इस्लाम

‘दमनकारी अंग्रेज़ शासक और उनके मुस्लिम लीगी प्यादों के बारे में तो सच्चाईयां जगज़ाहिर हैं, लेकिन अगस्त क्रांति के हिंदुत्ववादी

वर्तमान राजसत्ता का चरित्र और लोकतंत्र का गहराता संकट – 3 / जवरीमल्ल पारख

‘दरअसल, हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था का कोई अंग ऐसा नहीं है जो इस सांप्रदायिक फ़ासीवादी सरकार के निशाने से बाहर है।’