वर्तमान राजसत्ता का चरित्र और लोकतंत्र का गहराता संकट – 3 / जवरीमल्ल पारख

‘दरअसल, हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था का कोई अंग ऐसा नहीं है जो इस सांप्रदायिक फ़ासीवादी सरकार के निशाने से बाहर है।’

वर्तमान राजसत्ता का चरित्र और लोकतंत्र का गहराता संकट – 2 / जवरीमल्ल पारख

‘धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र और सामाजिक न्याय में यक़ीन करने वालों को नरेंद्र मोदी और भाजपा के सत्ता में आने को लेकर