नाइश हसन ने भी कलिंगा अवॉर्ड से खुद को अलग किया


मुताह : एक शोधपरक अध्ययन  की लेखिका नाइश हसन ने भी कलिंगा अवॉर्ड के साथ अडानी का नाम जुड़ा होने की जानकारी मिलते ही शॉर्ट-लिस्ट से अपना नाम हटाये जाने के संबंध में वाणी प्रकाशन को पत्र लिखा है।

सेवा में
अदिति महेश्वरी जी
वाणी प्रकाशन
दिल्ली।

उम्मीद है आप खैरियत से होंगी, और अपने काम में खूब मसरूफ़ होंगी। अभी एक हफ़्ता पहले हमने वाणी के व्हाट्सएप ग्रुप में एक दो हफ़्ता पुरानी पोस्ट देखी थी, जिसमें हमारी पुस्तक मुताह : एक शोधपरक अध्ययन  का नाम कलिंगा लिटरेचर फ़ेस्टिवल में डेब्यू कैटेगरी के अवार्ड में शामिल था, आपका शुक्रिया कि आपने हमारे शोधपरक काम को सम्मान से देखा।

हमें इस बात का इल्म नहीं था कि यह अवार्ड अडानी के पैसों से दिया जा रहा है। हमने हमेशा ग़रीब समुदाय से ताल्लुक़ रखने वाले साथियों के बीच काम किया है, उसी दौरान यह भी देखा कि अडानी ने ज़मीन माफ़िया के तौर पर सरकार की पूरी मदद से ग़रीबों के घर उजाड़े, पूरी की पूरी बस्तियां तबाह कर दीं, लखनऊ एयरपोर्ट के किनारे बसे गांवों के बाशिंदे पिछले 110 दिनो से लगातार धरने पर बैठे हैं, अपनी ज़मीनों को अडानी के क़ब्ज़े से बचाने के लिए। उनके दुख तकलीफ़ों की क़ीमत पर अडानी के नाजायज़ पैसों से हम कोई अवार्ड नहीं लेना चाहते। इसके एवज में अगर हो सके तो वह उन ग़रीब किसानों की ज़मीन से क़ब्ज़ा हटा लें, हमारे लिए यही बड़ा अवार्ड होगा।

वैसे भी इस तरह के शोध का हमारा मक़सद कोई अवार्ड पाना नहीं, अपनी कम्युनिटी के भीतर सुधार करना और स्त्री अस्मिता के सवाल को ज़िंदा रखना है।

आप से दरख्वास्त है कि कलिंगा लिटरेचर फ़ेस्टिवल की अवार्ड लिस्ट से हमारा नाम हटा लीजिए।

शुक्रिया।

नाइश हसन


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