हिंदी के महत्त्वपूर्ण कवि केशव तिवारी का कविता-संग्रह कलिंगा लिटेरेरी फ़ेस्टिवल बुक अवॉर्ड की अंतिम सूची में होने की सूचना इस संस्था द्वारा सोशल मीडिया पर जारी की गयी थी।
प्रायोजकों में अडानी समूह का भी नाम था। केशव तिवारी ने इस अवॉर्ड से खुद को पूरी तरह अलग करते हुए यह बयान जारी किया है:
“फेसबुक के माध्यम से पता चल रहा है कि मेरी कविता की किताब नदी का मर्सिया तो पानी ही गायेगा कलिंगा सम्मान के लिए शार्ट लिस्ट हुई है। मैंने यह किताब ऐसे किसी पुरस्कार के लिए नहीं भेजी है।
फिर भी मेरी कविताओं को सम्मान के योग्य समझा गया, इस बात के लिए धन्यवाद!
ज्ञात हुआ है कि इसके प्रयोजकों में अडानी समूह मौजूद है। अडानी के वैध-अवैध सम्बन्ध वर्तमान साम्प्रदायिक सत्ता से हैं। सत्ता और प्रायोजकों से गहरे वैचारिक मतभेद के चलते मैं स्पष्ट करना चाहता हूँ कि इस पुरस्कार की किसी लिस्ट में मुझे शामिल न किया जाय।
अपने को इस सम्मान/पुरस्कार की प्रक्रिया से मैं पूरी तरह अलग करता हूँ। उसे स्वीकार करने अथवा उसपर विचार करने मैं अपनी असमर्थता प्रकट करता हूँ।”
केशव तिवारी से पहले अलग-अलग श्रेणियों में गौहर रज़ा, भँवर मेघवंशी और देवी प्रसाद मिश्र खुद को इससे अलग करने की घोषणा कर चुके हैं।
सभी साथियों को बहुत-बहुत बधाई इस तरह के पुरस्कार साहित्यकारों की चेतना को नियंत्रित करने की कारपोरेटीय कोशिश है इसे ठुकराने के साहस को सलाम
सराहनीय कदम।
कवि केशव तिवारी को खुद्दारी भरा क्रान्तिकारी सलाम
जहाँ आज तक जैसे बड़े कॉरपोरेट मिडिया घरानों के कार्यक्रमों में एकाधिक बार शामिल होने से कई ‘बड़े’ कवि अपने आपको रोक नहीं पाए, प्रिए कवि केशव तिवारी जी का यह निर्णय हम सभी के लिए नज़ीर है. उन्हें सलाम दिल से.
कवि के इस कदम की भरपूर सराहना. ऐसा जज़्बा हर कलाकार के पास हो
इस बेबाक निर्णय के लिए केशव जी आपका हार्दिक अभिनन्दन
हूल जोहार
केशव तिवारी जी को उनके काव्य संग्रह की बधाई और उनके स्पष्ट सार्थक विचारों के लिए ह्रदय से सम्मान और शुभकामनाएं
जमीर की आवाज सुनने वाले साहित्यकार तिवारी जी को सलाम ।
हमारी प्रेरणा केशव तिवारी को ढेरों सलाम!
इस साहसपूर्ण कार्य एवंउच्च नैतिकता के लिए केशव तिवारी जी को तहे दिल से बधाई।