प्रकृतिपुत्र बैगा और उनकी रहस्यमयी दुनिया / ज्ञान चंद बागड़ी
विगत 32 वर्षों से मानव-शास्त्र और समाज-शास्त्र के अध्ययन और अध्यापन में लगे ज्ञान चंद बागड़ी इन दिनों आदिवासी इलाक़ों
विगत 32 वर्षों से मानव-शास्त्र और समाज-शास्त्र के अध्ययन और अध्यापन में लगे ज्ञान चंद बागड़ी इन दिनों आदिवासी इलाक़ों
चंचल चौहान की पुस्तक, ‘साहित्य का दलित सौंदर्यशास्त्र’ राधाकृष्ण प्रकाशन से हाल ही में प्रकाशित हुई है। भूमिका, उपसंहार और
‘सचाई तो यह है कि 1970 के दशक तक दुनिया के स्तर पर ही स्त्री कलाकारों के पर्याप्त नामलेवा नहीं
राष्ट्रीय अपराध रिपोर्ट ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े बताते हैं कि साल-दर-साल जाति आधारित हिंसा में कमी आने के स्थान पर
जितने क़ानूनी और सामाजिक अधिकार स्त्री को अब तक मिले, वे सब साझा प्रयासों का फल हैं जिनका उद्देश्य है
आदिवासी समस्याओं को न समझने की, लगता है, भारतीय शासक दल क़सम खा चुका है। औपनेवेशिक अंगरेज-शासकों द्वारा दिये गये
नया पथ के जनवरी-मार्च 2021 अंक में प्रकाशित बजरंग बिहारी तिवारी का आलेख : ———————————————————————————————– क्रांतिकारी आह्वान ‘दुनिया के