कलकत्ता से केरल तक / ज्योति शोभा
‘रूपाली दत्ता और अन्य कविताएँ’ लिखने वाली शानदार कवि ज्योति शोभा का यह यात्रा-संस्मरण जितना दिलचस्प है, उतना ही बहसतलब
‘रूपाली दत्ता और अन्य कविताएँ’ लिखने वाली शानदार कवि ज्योति शोभा का यह यात्रा-संस्मरण जितना दिलचस्प है, उतना ही बहसतलब
‘विचारधारा और चर्बी, दोनों का यही सिद्धांत है— अवसर देखकर घटाओ, ज़रूरत पड़ने पर बढ़ाओ।’–प्रधानमंत्री के भाषण और कुछ पाला
‘जब मैं कहूँ कि शेक्सपीयर एक कहानी है जो भुला दी गयी है, कि अब वह किसी को याद नहीं
शंकर दयाल सिंह (1937–1995) एक प्रखर कांग्रेस नेता, विद्वान स्तंभकार और हिंदी के सजग प्रहरी थे। 33 वर्ष की आयु
1965 के भारत-पाक युद्ध में इस्तेमाल की जाने वाली टेक्नॉलजी के साथ आज की स्थितियों की तुलना नहीं हो सकती,
‘इस तरह के दंगों या सांप्रदायिक हिंसा के भड़कने के बाद अक्सर पूछा जाता है कि हिंसा की शुरुआत किसने
सन 2000 में इन पंक्तियों के लेखक ने अपने बचपन के मुहल्ले में एक सिनेमा हॉल के बनने और बंद
कला कौशल की किताब ‘फ़ेसबुक तुक’ हाल ही में प्रकाशित हुई है। संस्मरण और समीक्षा जैसी विधाओं को समेटती 772
विगत 32 वर्षों से मानव-शास्त्र और समाज-शास्त्र के अध्ययन और अध्यापन में लगे ज्ञान चंद बागड़ी इन दिनों आदिवासी इलाक़ों