दलित कविता में सौन्दर्यबोध और सौन्दर्यशास्त्र / जगदीश पंकज
चंचल चौहान की किताब साहित्य का दलित सौंदर्यशास्त्र पर जनवादी लेखक संघ और दलित लेखक संघ के संयुक्त तत्त्वावधान में
चंचल चौहान की किताब साहित्य का दलित सौंदर्यशास्त्र पर जनवादी लेखक संघ और दलित लेखक संघ के संयुक्त तत्त्वावधान में
“हर रचनाकार अपनी ‘वस्तु’ का चुनाव अपनी संवेदनक्षमता के आधार पर करता है, तो आलोचक को अपनी रुचि के अनुसार
अपनी किताब के आमुख में परकाला प्रभाकर कहते हैं, ‘निकट भविष्य में एक चुनावी जीत ज़ाहिर तौर पर गणराज्य को
‘सचाई तो यह है कि 1970 के दशक तक दुनिया के स्तर पर ही स्त्री कलाकारों के पर्याप्त नामलेवा नहीं
2007 की ‘एडवोकेट’ पर, दस्तावेज़ी फ़िल्मों के बारे में अपनी जानकारी को अद्यतन रखनेवाले संजय जोशी की टिप्पणी: —————————————————————- दक्षिण
जवरीमल्ल पारख की किताब ‘साहित्य कला और सिनेमा’ पर हरियश राय की संक्षिप्त टीप ——————————————————————– साहित्य, कला और सिनेमा जवरीमल्ल
अंग्रेजी के ख्यात कवि, कला-समीक्षक, कला-सिद्धांतकार, और लल द्यद का अंग्रेजी में अनुवाद करनेवाले रणजीत होसकोटे ने इंटरनेशनल सेंटर गोवा
जवरीमल्ल पारख की किताब जीवन की पाठशाला पर विष्णु नागर की टिप्पणी ——————————————————————- जवरीमल्ल पारख प्रतिष्ठित साहित्य आलोचक होने के
नवारुण ने विलक्षण कहानीकार योगेंद्र आहूजा के वैचारिक लेखन को टूटते तारों तले शीर्षक से पुस्तकाकार प्रकाशित किया है। उस