लखनऊ के सामाजिक संगठनों, महिला, छात्र व नौजवान संगठनों सहित लेखकों व संस्कृतिकर्मियों ने अंबेडकर विश्वविद्यालय में, प्रशासन से बातचीत और आपसी समझौते के बाद भी धोखाधड़ी से 25 अप्रैल की आधी रात को विश्वविद्यालय परिसर से 26 छात्रों की गिरफ्तारी की सख्त निंदा की है।
विदित हो कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने कुछ छात्र संगठनों को अंबेडकर जयंती मनाने की अनुमति नहीं दी जबकि 17 अप्रैल को रामनवमी के दिन साउंड सिस्टम के साथ धार्मिक आयोजन किया गया। छात्र संगठन इस विषय पर अपनी आपत्ति दर्ज करवाने प्राक्टर से मिलने जा रहे थे किन्तु उसके पहले ही सिक्योरिटी एजेंसी के गार्डों ने उनसे मारपीट की। छात्रों के ख़िलाफ़ मुक़दमा भी दर्ज हुआ।
इस घटना के विरोध में कई छात्र संगठन भूख हड़ताल पर बैठ गये। दिनांक 25 अप्रैल को ज़िला प्रशासन के उच्च अधिकारियों ने रात 9 बजे आंदोलनरत छात्रों से मुलाक़ात कर दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई व उनकी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया और किन्तु आधी रात को 26 छात्रों को पुलिस अज्ञात स्थान पर उठा ले गयी जिनके बारे में अभी तक जानकारी नहीं मिली है। गिरफ़्तारी 107/16 के तहत हुई है।
प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि 107/16 की कारवाई में स्थानीय थाने से ज़मानत हो जाती है किन्तु छात्रों के साथ पुलिस का यह अमानवीय व्यवहार सरासर मानवाधिकारों का उल्लंघन है। बयान में कहा गया है कि छात्रों की मांग बहुत जायज़ है, अंबेडकर विश्वविद्यालय में अंबेडकर जयंती मनाने की अनुमति न मिलना और गाजे बाजे के साथ धार्मिक आयोजन गैर-संवैधानिक है।
शहर के जनसंगठनों, सामाजिक व महिला संगठनों सहित बुद्धिजीवियों ने इस घटना की निंदा करते हुए तत्काल छात्रों की रिहाई तथा दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की है।
हस्ताक्षर-कर्ता :
प्रो रमेश दीक्षित
प्रो रूपरेखा वर्मा
मधु गर्ग – एडवा
कांति मिश्रा – भारतीय महिला फेडेरेशन
मीना सिंह – एडवा
नाइश हसन – सामाजिक कार्यकर्ता
वंदना मिश्रा – सामाजिक कार्यकर्ता व वरिष्ठ पत्रकार
प्रो नदीम हसनैन – जन विचार मंच
सिद्धार्थ तिवारी – नौजवान सभा
प्रवीन सिंह – किसान सभा
राहुल मिश्रा – सीआईटीयू
अभिषेक यादव – एसएफआई
कात्यायनी – लेखिका
रिज़वान – इप्टा
प्रतुल जोशी – जन विचार मंच
कौशल किशोर – जन संस्कृति मंच
विमल किशोर – कवयित्री
नलिन रंजन – जनवादी लेखक संघ
दिशा छात्र संगठन, स्त्री मुक्ति लीग , नौजवान भारत सभा
उक्त सभी से फोन पर सहमति ले ली गयी है।
विश्वविद्यालय के चुनिंदा व्यवहार और पुलिस द्वारा अन्याय पूर्ण गिरफ़्तारी की निंदा करते हैं और विद्यार्थियों को रिहा करने की मांग करते हैं।
मेरा खयाल है यहां बयान की उतनी खास जरूरत नहीं है . इसे दूसरी जगह दिया जाना बेहतर होगा.