दस कविताएं / संजय कुंदन
अपने देशकाल को कहने से लेकर अपने-आप को कहने तक, संजय कुंदन की कविताओं में सादगी के साथ व्यक्त होने
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2024 के राजेंद्र यादव हंस कथा सम्मान से सम्मानित ‘राकिया की अम्मा’ को पढ़ते हुए किसी वरिष्ठ, तथापि अ-गरिष्ठ, उस्ताद
सन 2000 में इन पंक्तियों के लेखक ने अपने बचपन के मुहल्ले में एक सिनेमा हॉल के बनने और बंद
कला कौशल की किताब ‘फ़ेसबुक तुक’ हाल ही में प्रकाशित हुई है। संस्मरण और समीक्षा जैसी विधाओं को समेटती 772
हमारे समय के एक सजग युवा की चिंताएं, अवसाद और खुशियां माधव महेश की कविताओं में गहरी संवेदना के साथ
‘जब घर में बेटा आया, आयशा ने ही उसका नाम कबीर रखने का सुझाव दिया। एक नाम, जो मुसलमानों-हिन्दुओं में
सीमा सिंह की कविताएं ‘इस हिंदू होते समय’ का प्रति-आख्यान हैं। यहां स्त्रियों के मंगलसूत्र की चिंता करते प्रधानमंत्री के
विगत 32 वर्षों से मानव-शास्त्र और समाज-शास्त्र के अध्ययन और अध्यापन में लगे ज्ञान चंद बागड़ी इन दिनों आदिवासी इलाक़ों
एक ऐसे समय में जब ‘विलाप को हत्या से भी संगीन अपराध बता दिया’ गया हो, विशाल श्रीवास्तव की ये