युद्ध और आम आदमी : एक संस्मरण / जवरीमल्ल पारख
1965 के भारत-पाक युद्ध में इस्तेमाल की जाने वाली टेक्नॉलजी के साथ आज की स्थितियों की तुलना नहीं हो सकती,
1965 के भारत-पाक युद्ध में इस्तेमाल की जाने वाली टेक्नॉलजी के साथ आज की स्थितियों की तुलना नहीं हो सकती,
“प्रेम बचाने के लिए नहीं बनाया गया / कोई परमाणु बम / नफ़रत बढ़ाने के लिए / कितने ही” –इस
क्या कोई ऐसी कहानी हो सकती है जिसमें घटनाएँ नदारद हों, फिर भी आपको एक क़ायदे की शुरुआत मिले और
वरुण प्रभात गहरे सरोकारों के कवि हैं। जमशेदपुर, झारखंड में रहते हैं। एक कविता-संग्रह ‘अंतहीन रास्ते’ प्रकाशित। अंकुरण सुना था
ये उस कवि की कविताएँ हैं जो ‘कवि नहीं होना चाहता, कविता हो जाना चाहता’ है। इन कविताओं में एक
इस वर्ष सलीम-जावेद द्वारा लिखित और यश चोपड़ा द्वारा निर्देशित फ़िल्म ‘दीवार’ को रिलीज़ हुए 50 साल हो गये। इस
‘तुम फिर आना बसंत’ कविता संग्रह के लिए शीला सिद्धांतकर सम्मान से सम्मानित शालू शुक्ला विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में छपती रही
युवा कवि शंकरानंद की कविताएँ ‘नया पथ’ समेत हिंदी की तमाम महत्त्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में छपती रही हैं। ‘नया पथ’ के ऑनलाइन
‘इसी पाखंड पर नंगेली ने किया प्रहार / मत भूलें! चेरथला की विद्रोहिणी का प्रतिकार’ –प्रकाश चंद्रायन की कविताएँ भूलने