हिंदू बहुसंख्यकवाद के ख़तरों और चुनौतियों की शिनाख्त़ करती एक ज़रूरी किताब / संजीव कुमार
अपनी किताब के आमुख में परकाला प्रभाकर कहते हैं, ‘निकट भविष्य में एक चुनावी जीत ज़ाहिर तौर पर गणराज्य को
अपनी किताब के आमुख में परकाला प्रभाकर कहते हैं, ‘निकट भविष्य में एक चुनावी जीत ज़ाहिर तौर पर गणराज्य को
‘इस बिलियनेयर राज से लड़ना ब्रिटिश राज से लड़ने की तुलना में कहीं अधिक मुश्किल है। ब्रिटिश राज के पास
20 अप्रैल 2024 से आलोचक और जनवादी लेखक संघ के संस्थापक महासचिव चंद्रबली सिंह का जन्मशती वर्ष आरंभ हुआ है।
‘जब घर में बेटा आया, आयशा ने ही उसका नाम कबीर रखने का सुझाव दिया। एक नाम, जो मुसलमानों-हिन्दुओं में
सीमा सिंह की कविताएं ‘इस हिंदू होते समय’ का प्रति-आख्यान हैं। यहां स्त्रियों के मंगलसूत्र की चिंता करते प्रधानमंत्री के
“भारतीय जनसंघ को जनता पार्टी में शामिल करने के ख़तरे की ओर न केवल किसी ने ध्यान नहीं दिया बल्कि
“भारत की मूलभूत संकल्पना में संघात्मकता अंतर्निहित है और उसे एक राष्ट्र के रूप में कल्पित नहीं किया गया है
एक जागरूक और विचारवान राष्ट्र ही लोकतंत्र की रक्षा कर सकता है। क्या भारत के पास अपने लोकतंत्र को बचाने