भूख की कविताएँ / कनक लता
मुख्य रूप से वैचारिक लेखन करनेवाली कनक लता की कविताएँ गहरी पीड़ा से निकली हुई सहज-सरल किन्तु असरदार अभिव्यक्ति का
मुख्य रूप से वैचारिक लेखन करनेवाली कनक लता की कविताएँ गहरी पीड़ा से निकली हुई सहज-सरल किन्तु असरदार अभिव्यक्ति का
‘लोकतंत्र में लोक को तिज़ोरी और पेटी में क़ैद करना किसी कला से कम नहीं है।’–प्रदीप्त प्रीत की कविताएँ :
‘वे फिलिस्तीनी बच्चे हैं/ खुशियाँ बची रहें पृथ्वी पर/ वे इसके लिए लड़ रहे हैं/ वे फूलों की तरह कोमल
बसंत त्रिपाठी की यह पूर्व-प्रकाशित कहानी ख़ुद ‘कहानी’ के बारे में है। और जितना यह ‘कहानी’ के बारे में है,
फ़ैज़ाबाद के एक मशहूर क़स्बे रौनाही में जन्मे इल्तिफ़ात माहिर ने कानपुर यूनिवर्सिटी से स्नातक और वकालत की पढ़ाई के
‘शांता देवी अब उत्तरों की प्रतीक्षा नहीं करतीं। उन्हें अब केवल अपनी बात कहनी होती है—चाहे कोई सुने या न
सीमा सिंह की शानदार कविताएँ लगभग सवा साल बाद दुबारा ‘नया पथ’ में आयी हैं। उनका कविता संग्रह ‘कितनी कम
‘चूल्हे की आग सिर्फ़ लकड़ियों से नहीं जली / हर उम्र की लड़कियों ने अपनी हड्डियाँ तक झोंकी हैं’–इस बार
ये एक सुंदर दुनिया की चाहत में लिखी गयी कविताएँ हैं, जहाँ गाज़ा की गलियों में बसंत का हाथ पकड़कर